जीवन के विभिन्न आयामों में फैलती
‘चुटकी भर मुस्कान’
जीवन जहाँ प्रकृति से मिला एक अतुलनीय, अद्भूत, विलक्षण, वैभवशाली, महान् मायावी वरदान है, वहीं यह मानव के लिए कठिनाइयों, चुनौतियों, अप्रत्यासित घटनाओं के वशीभूत मिलन व बिछुड़न का स्वर भी पग-पग पर मुखर करता है। जीवन है तो ख़ुशी है, ग़म है। प्यार, मनुहार, टकराव, उपहास, उपालम्ब, यश, अपयश मनुष्य के दैनंदिन व्यवहार को तय करते हैं, उसके सामर्थ्य व वजूद को चुनौती देते रहते हैं। इन सभी झंझावतों के बीच यदि चुटकी भर मुस्कान अधरों पर किसी न किसी रूप में खिलती रहे तो इसमें कोई सन्देह नहीं रह जाता है कि जीवन सहज, सरस व सरल भाव-प्रवृति की ओर उन्मुख रहता है। कवयित्री रश्मि खरबन्दा की काव्य-कृति ‘चुटकी भर मुस्कान’ कुछ इसी तरह की अभिव्यक्ति लिए हुए है।
समीक्ष्य काव्य-संग्रह में 73 कविताओं का समावेश है, जो कि मानव-जीवन के विभिन्न आयामों, झंझावतों व उबड़-खाबड़, पथरीले तो गरम रेतीले रास्तों के यथार्थबोध से अवगत कराती हैं तो जीवन के उज्जवल पक्ष प्यार, हास-परिहास, स्नेह, वात्सल्य, रिश्तों की माधुर्यता का सोपान भी कराती हैं। काव्य-कृति का शीर्षक मनमोहक वजीवन के प्रति सकारात्मक सन्देश देता है। शीर्षक में निहित भाव, विषम परिस्थितियों के बीच चुटकी भर मुस्कान बनाए रखना, कवयित्री के काव्य-स्वभाव के साथ-साथ उसके व्यवहारिक पक्ष को भी उजागर करता है।
अब शीर्षक की बात चल निकली है तो क्यों न इस समीक्ष्य कृति की शीर्षक कविता पर आया जाए। पृष्ठ 26 पर