आनंद
अजब अनूठी... मीठी
सिहरन सा... वो दिन
निराला होता है
जब पंछी के कलरव सी
विरल अभिव्यक्ति
कलम की नोक पर
आ बैठती है...
सूरज के उगते प्रकाश संग
रंग-बिरंगी आस्थाओं की अल्पना
घर द्वार
सजा देती है!
लगता है... ग्राम परिवेश
मानस के आकाश को
अपनी सुरम्यता से
आच्छादित कर देता है...