Saturday, March 16, 2024

'नादान आदमी का सच ’ हमारा तुम्हारा सच - सुजाता


अम्बिका दत्त जी का काव्य –संग्रह ’नादान आदमी का सच ’ पढ़ते ही ताज़ी हवा के झोंके की छुअन सी महसूस होती है। हिंदी और राजस्थानी में उनके नौ पुस्तक–संग्रह (ख़ास तौर पर कविताएं) प्रकाशित हो चुके हैं और वे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।’नादान आदमी का सच ’ उनका दसवां काव्य –संग्रह जीवन की विविधता  व नवीनता लिए हमारे समक्ष है।

’ प्रार्थना के लिए प्रार्थना ’ संग्रह की पहली कविता है। एक संवेदनशील व्यक्ति होने के नाते कवि कामना करता है कि लोभ, लिप्सा, मद –मोह, अभिमान और दिखावे से बच कर प्रार्थना जीवन में सहज –शुभ कर्म 

बन कर उभरे।


अम्बिका दत्त जी की कविताओं में गज़ब की सादगी है तथा चिंता भी कि इन दिनों शरीफ़ लोग कितने निरीह व

Saturday, February 3, 2024

एंजेला कोस्टा की कुछ अनुवादित कविताएं

एंजेला कोस्टा का जन्म 1973 में अल्बानिया में हुआ था। वह 1995 से इटली में रह रहे हैं। उन्होंने 11 पुस्तकें प्रकाशित की हैं जिनमें शामिल हैं: अल्बानिया और इटली में उपन्यास, कविताएं और परियों की कहानियां। एंजेला कोस्टा अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ऑर्फ्यू की संपादक हैं। वह अल्बानिया, कोसोवो, इटली, बेल्जियम, ग्रीस, लेबनान, संयुक्त राज्य अमेरिका और मोरक्को में विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं और समाचार पत्रों के लिए एक अनुवादक और पत्रकार भी हैं। आप समाचार पत्रों कैलाब्रिया लाइव और एलेसेंड्रिया टुडे, समाचार पत्र ों नेसियोनल, ले रेडिसी आदि के लिए लेख लिखते हैं।


मेरी माँ के लिए


मैंने कई पंक्तियाँ लिखीं

आँसुओं के लिए अंतहीन छंद,

दर्द प्रेम

तुम भी कहाँ हो मेरी माँ!

मैं तुम्हारी बंद आँखों को एक बार अच्छाई से भरकर चूम लेता हूँ!

मैं तुम्हारे अभी भी गर्म हाथों को वैसे ही सहलाता हूँ 

जैसे तुमने एक बार किया था;

मैं तुम्हारे असमय बुढ़ापे की झुर्रियों को अपनी उँगलियों से छूता हूँ

तुम्हारी सुस्ती को स्वीकार कर पाने के कारण,

Monday, January 1, 2024

शशि पाठक की कुछ नई कविताएं


1----

फर्क होता है

खुश होने और सुखी होने में ।

ज़रुरी नहीं कि

हर सुखी व्यक्ति खुश भी हो  ।

खुशी मन की एक स्थिति है ,

जबकि सुख

सुविधाओं पर आश्रित है ।

सुविधाएं खुशी नहीं

सुख देती हैं ।

अभावग्रस्त व्यक्ति भी 

खुश हो सकता है

और

सुखी व्यक्ति भी नाखुश रह सकता है ।

2-----

ज़िन्दा है इंसान

सपनोँ के सहारे

Saturday, November 11, 2023

नसीहत का सौदा : लघु कथा, सुजाता

  

मां हाथ में एक रुपए का सिक्का लिए बाज़ार निकली।बच्चे की ललचाई आंखें सिक्के पर टिकी थीं–मां! आते समय कुछ लेते आना।राशन की दुकान पर लाइन लगी थी, ताक –झांक करने के बाद वह आगे बढ़ गई।मिठाई की दुकान पर मात्र भाव पूछा।आगे चौराहे पर नसीहतों की नीलामी हो रही थी,उसने सिक्का दे कर एक नसीहत खरीद ली "सहनशीलता अमूल्य

छोटा भी सुन्दर : रंजीत कुमार साहू

 

छोटे और दुर्बल का 
कभी न करो 
जाने अनजाने में 
उपहास  
छोटा सा दिया 
घनघोर अँधेरे में  
जगा जाता  है  
जीवन की   आस 

धीमा होता है पर 
बदल देता है  
रुख  मौसम का झोंका  
हवा का 
कौन कहता है  वो निर्बल होता है  
घूप में काम देता है दवा का 

छोटा सा ही होता है  सीपी सागर में, 
मोती  उस से भी है छोटा होता 

Monday, October 30, 2023

प्रोत्साहन: शैलेंद्र

"सफलता के पायदान"

प्राक्कन को लिखने का आग्रह प्राप्त हुआ,जिसे मैंने सहर्ष स्वीकार

कर लिया। आज पुस्तक संबंधित

पोस्ट को देख एक कविता लिखने

को प्रोत्साहित हो उठा।


मनोबल ऊंचा,

मनोबल बढ़ा,

दिशा निर्देशन

भी एक विधा....।।


दो पंक्तियां लिखना,

चंद अशआर गढ़ना,

अनुभवों को साझां कर,

Wednesday, October 18, 2023

सुखजीत की क्था शैली के बारे कुछ काविक भाव: शैलेंद्र


मैं फंस चला हूं....


कल्पना की गहराइयों को छूकर,

पूछ पूछ कर सच को अभिव्यक्त कर,

परिचय परिचर्चा में भी

अव्वलता पाकर,

सच झूठ के संघर्ष में फंसकर निकल जाना...

Monday, October 9, 2023

"भूकंप पर कविता" - डॉक्टर सलोनी चावला

 (धरती और मानवता का सन्देश) 


                   

लोगों ने कहा - अरे भूकंप आया !

मैं बोली - ना, किसी का इशारा आया। 


धरती मां ने हमें ज़रा प्यार से हिलाया,

जैसे ज़मीर को सोते हुए से जगाया। 


शायद आज धरती माँ का दिल भर आया।

और हम सभी तक यह पैगाम पहुंचाया। 


इस पैगाम से हमें यह एहसास दिलाया - 

Monday, September 18, 2023

एनसीपीए के संयोग से लिटरेरी वारियर ग्रुप द्वारा नीलम सक्सेना चंद्रा की नवीनतम पुस्तक "मोह से बंधी मैं" का सस्वर पाठ

ऐसे होते हैं, जो ज़िंदगी भर के लिए  अपनी छाप छोड़ जाते हैं। मैं बात कर रही हूं ऐसी ही एक रोमांचक शाम की जिसके एक एक पल में साहित्य के अनेक रंगों का मिलाप था। दिल को छू जाने वाली कविताएं और मोहित कर दे ऐसा नृत्य था।यह उत्कृष्ट कार्यक्रम प्रतिष्ठित एनसीपीए में दिनांक ६ सितंबर को आयोजित किया गया था।

कार्यक्रम की शुरुआत नीलम सक्सेना चंद्रा द्वारा लिखी गई पुस्तक "मोह से बंधी मैं" के वाचन के साथ हुई।नीलम को

Wednesday, September 6, 2023

सावन की छवि : रंजीत कुमार साहू

नभ ने संदेश भेजा सागर को 

तृषा से धरती जल रही है  
जीवन की डोर ढीली हो रही है 
प्राणी की  सांस  मचल रही है 
सौगात भेजा है सागर ने आज 
उमड़ पड़ा है बादलों का झुंड 
फिर आकाश  चूमने लगा है 


गुनगुनाने लगे पहाड़ी झरने 
भीगने लगे है  सूखे पत्थर 
जीवन की आस चैन भरी  सांस 
देखे नयन  भटके जिधर 
फैलाया  धरती आँचल अपना  
बिखरा हरा रंग उस पर 
फिर मौसम  घूमने लगा है 

Wednesday, June 21, 2023

डाँ. अंजना अनिल की कुछ कविताएं

  


आनंद

अजब अनूठी... मीठी

सिहरन सा... वो दिन

निराला होता है

जब पंछी के कलरव सी

विरल अभिव्यक्ति

कलम की नोक पर

आ बैठती है...

सूरज के उगते प्रकाश संग

रंग-बिरंगी आस्थाओं की अल्पना

घर द्वार

सजा देती है!

लगता है... ग्राम परिवेश

मानस के आकाश को

अपनी सुरम्यता से

आच्छादित कर देता है...

Monday, April 10, 2023

रंजीत साहू की दो कवियाएँ


गुमसुम हुई शाम सुहानी 


फिर बहकने लगा  फागुन देखो,


टेसू के पेड़ों  से गुजर गया I


ढलती शाम की जलती किरणों में,


इश्क़ का हुनर  बिखर गया !



एक कश्मकश शुरू हुई  दिल में, 


भूलने और याद करने  में I


 फर्क सब कुछ मिटने  लगा है, 


मिट जाने  या ज़िन्दा रहने में  I

Saturday, March 4, 2023

डॉ. धर्मपाल साहिल की तीन कवियाएँ

धर्मपाल साहिल
पत्धर

शीशे के घर में रहने वाले, 

करते हैं बात पत्थर की.

पत्थर जब पूजा गया तो, 

बढ़ गई औकात पत्थर की...! 

वही मंदिर, वही मस्जिद

 और वही गुरुद्वारे में था, 

हर जगह नज़र आई, 

जात एक ही पत्थर की.....! 

शीशे का होकर रिश्ता, 

शीश महल जैसा था, 

हो गया चूर जब लगी, 

 उसे घात पत्थर की...! 

पत्थरों के शहर में , 

 पत्थर जैसे लोग मिले, 

 फलदार पेड़ों को मिली, 

Thursday, March 2, 2023

'शिखर'- शैलेंद्र कपिल

 (आज मेरी सेवानिवृत्ति का एक वर्ष पूरा हो गया है)


शिखर

परिवर्तन क्या है, बेहतरीन एहसास हो रहा है

ज़िन्दगी का हर  पड़ाव  प्रभावशाली रहा है,

अनुभवों को मैंने हर स्तर पर सांझा किया है

उम्मीद, उल्लास और उमंग से

जीने की मन में आज भी ललक जिंदा है।


जिंदगी को एक बात और कहनी है,

उम्मीद रखकर जीनी आगे बढ़ रही जिंदगानी है,

अपराध बोध से उठकर के हमें जीना है

Tuesday, February 28, 2023

भारतीय कविता आंदोलनों के जन्मदाता : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(शैलेंद्र , प्रयागराज)

सूर्यकांत  त्रिपाठी निराला जी का आज 123वां जन्मदिन है ।आज ही अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस एवं बसंत ऋतु का दौर भी है।

हिंदी साहित्य के छायावाद के चार कवियों, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा के साथ सूर्यकांत जी प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने बंग्लाभाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य की,और  गीत, कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध आदि विधाओं में  रचनाएं सृजित कर छायावाद व परवर्ती काव्य आन्दोलनों के साहित्यकारों का मार्ग दर्शन किया।

सूर्यकांत जी का जन्म रविवार के दिन बंगाल की महिषादल रियासत, मिदनापुर में हुआ। रविवार के दिन पैदा होने के कारण उनका नाम सूर्यकांत रखा

Monday, February 27, 2023

'फ़र्जी'

मैं जब भी उनकी दुकान पर जाता 

वे नामी बाबाओं के 

वीडियो देखते - सुनते हुए ही मिलते थे।

उनमें से कुछ बाबा आज ---- की हवा खा रहे हैं।

आज जब मैं उनकी दुकान पर पहुंचा 

तब भी वे कोई वीडियो ही देख रहे थे। 

मैने पूछा- कौन से बाबा को देख - सुन रहे हैं ?

वे बोले  - अरे नहीं, पिक्चर चल रही है। 

मैने पूछा - कौन सी ?

तो वे बोले  -  फर्जी।


(राजेन्द्र ओझा, रायपुर,  छत्तीसगढ़)





'नादान आदमी का सच ’ हमारा तुम्हारा सच - सुजाता

अम्बिका दत्त जी का काव्य –संग्रह ’नादान आदमी का सच ’ पढ़ते ही ताज़ी हवा के झोंके की छुअन सी महसूस होती है। हिंदी और राजस्थानी में उनके नौ पु...