परिचय:
शिक्षा~ एम.ए.राज विज्ञान, व सी. लिब. जन्म~ 17 मार्च 1963 विधा ~ लघु कथा,व छांदसिक रचनाएँ ।प्रकाशित कृतियाँ-
1.दर्द की परछाइयाँ (2017),
2. "बाकी रहे निशान" दोहा संग्रह( 2019) ,
3."काँच के रिश्ते"दोहा संग्रह(2020),
4."भावों की उर्मियाँ" कुंडलियाँ संग्रह (2021)
व अनेक साझा संग्रह
प्रकाश्य:-घनाक्षरी,गीत, कविता,लघुकथा व एकांकी संग्रह।
सम्मान व अलंकरण - हिंदी दिवस पर जिला साहित्यकार परिषद भीलवाड़ा द्वारा "साहित्य सुधाकर"-2018
विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा~ 'विद्यावाचस्पति' सम्मान-2018 में
द्वारकेश साहित्य परिषद कांकरोली द्वारा सम्मानित- 2019, काव्यांचल ग्रुप- 'छंद-रथी'-2019, व फरवरी 2020 में दोहा शिरोमणि सम्मान व अन्य कई सम्मान।
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आस घटी नहीं
मैं तुम्हें प्यार करती रही,
पल-पल तुम्हें पाने की
चाहत में डूबती रही,
पर तुमतो भोगते रहे जिस्म को,
मैं रूह से रूह के मिलन की आस में,
क्षण -क्षण मरती रही।
तुम अपने अहम में मगरूर रहे,
मैं त्याग की मूरत बनी रही,
तुम्हें कभी तो होगा अहसास,
हर क्षण मेरे मन में ये आस पलती रही
तुम,बेलगाम -घोड़े से विचरण
करते रहे।
मै खूँटे से बंधी रही
कभी तो तुम्हें मेरे समर्पण का संज्ञान होगा,