Saturday, September 18, 2021

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन' (भीलवाड़ा ,राज.) की कुछ कविताएँ


परिचय:

शिक्षा~ एम.ए.राज विज्ञान, व सी. लिब. जन्म~ 17 मार्च 1963 विधा ~ लघु कथा,व  छांदसिक रचनाएँ ।प्रकाशित कृतियाँ-

1.दर्द की परछाइयाँ (2017), 

2. "बाकी रहे निशान" दोहा संग्रह( 2019) , 

3."काँच के रिश्ते"दोहा संग्रह(2020),

4."भावों की उर्मियाँ" कुंडलियाँ  संग्रह (2021)

व अनेक साझा संग्रह

प्रकाश्य:-घनाक्षरी,गीत, कविता,लघुकथा व एकांकी संग्रह। 

सम्मान व अलंकरण - हिंदी दिवस पर जिला साहित्यकार परिषद भीलवाड़ा द्वारा "साहित्य सुधाकर"-2018

विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा~ 'विद्यावाचस्पति' सम्मान-2018 में

द्वारकेश साहित्य परिषद कांकरोली द्वारा सम्मानित- 2019, काव्यांचल ग्रुप- 'छंद-रथी'-2019, व फरवरी 2020 में दोहा शिरोमणि सम्मान व अन्य कई सम्मान।

Shakuntalaagrwal3@gmail.com

आस घटी नहीं

मैं तुम्हें प्यार करती रही,

पल-पल तुम्हें पाने की

चाहत में डूबती रही,

पर तुमतो भोगते रहे जिस्म को,

मैं रूह से रूह के मिलन की आस में,

क्षण -क्षण मरती रही।

तुम अपने अहम में मगरूर रहे,

मैं त्याग की मूरत बनी रही,

तुम्हें कभी तो होगा  अहसास,

हर क्षण मेरे मन में ये आस पलती रही

तुम,बेलगाम -घोड़े से विचरण

करते रहे।

मै खूँटे  से बंधी रही

कभी तो तुम्हें मेरे समर्पण का संज्ञान होगा, 

Saturday, September 4, 2021

दो कविताएं : द विनेसेंटं माईलज


  द विनेसेंटं माईलज (De Vincent Miles)  फ्लिपाइंस की एक प्रसिद्ध कवयित्री एवं लेखिका है। उन की बहुत-सी कवितायें और लेख प्रकाशित हो चुके हैं। दो दशकों से अधिक समय से वह अलग-अलग स्कूलों और कालेजों में अध्यापिका के तौर पर काम करती रही है। इस समय वह Department of Education City Schools of Manilaमें बतौर Master Teacher-II  के पद पर काम कर रही है। वह Future University Sudan o Emilio Aguinaldo College, Manila में भी पढ़ाती रही है।

email: smilahgarcia@gmail.com


दिन में 21 सेब

मैं जब पिछली तरफ झाँकती हूँ

कि पिछले कुछ हफ्ते

कैसे फिजूल और वीरान रहे हैं

तो मैं अपने मन अंदर

उम्र भर के साथ का मंत्र दुहराती हूँ-

‘‘प्यार करना और प्यार लेना’’

मैं इसीलिए यहाँ थी।

अब परवाह नहीं

'नादान आदमी का सच ’ हमारा तुम्हारा सच - सुजाता

अम्बिका दत्त जी का काव्य –संग्रह ’नादान आदमी का सच ’ पढ़ते ही ताज़ी हवा के झोंके की छुअन सी महसूस होती है। हिंदी और राजस्थानी में उनके नौ पु...