Saturday, August 6, 2022

काला धुआं - लघु कथा :- सुजाता


ऊपर बैठे आकाश ने भी उनकी हां में हां मिलाई। हवा, पानी, ज़मीन बोले, तुम तो मज़े में हो भई, इंसान के हाथ तुम तक  नहीं पहुंच सकते।

आकाश ने अपने दिल में हुआ बड़ा सा छेद दिखाते हुए कहा, तुम्हें शायद मालूम नहीं कि इंसान के स्वार्थ की लपटें कितनी ऊपर तक पहुंच रही हैं।भट्टी में धू –धू जल रहे हैं पुतले, किसी दिन इन्हीं लपटों का शिकार हो जाएगा वह। खतरे का बिगुल बज रहा है और काला धुआं फैलता जा रहा है।

पानी के चेहरे पर उदासी की लकीरें साफ़ दिखाई दे रही थीं। हवा ने पूछा–क्या बात है भाई?  मेरा दर्द बहुत पुराना है–पानी बोला ,बरसों से इंसान मेरा खून चूस रहा है।वह जल–भक्षी हो गया है, इतना स्वार्थी कि मेरे शरीर की आखिरी बूंद तक निचोड़ लेना चाहता है।अब और बर्दाश्त नहीं होता।


पानी की दुःख भरी कहानी सुन कर हवा की आंखें भीग गईं –मेरी भी दास्तां कुछ ऐसी ही है भाई।

देवेंद्र कुमार 'अंबर' (हरियाणा) की कवियाएँ

बच्पन से कविता लिखने का शौक रखने वाले देवेन्द्र कुमार (अंबर) ने श्री ओमप्रकाश दहीया गाँव कितलाना जिला भिवानी, हरियाणा के प्रागंण में 10 मई 1978 को जन्म लिया। प्राथमिक शिक्षा गाँव कितलाना की राजकीय प्राथमिक पाठशाला से उत्तीर्ण की व माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय देवराला जिला भिवानी मे दाखिला प्राप्त किया। विज्ञान विषय से उच्च माध्यमिक शिक्षा ऊत्तीर्ण कर National Institute of Technology, Kurukshetra से विद्धूत अभियांत्रिकी से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर निजी क्षेत्र में बतौर अभियंता कार्य किया । तत्पश्चात स्वयं संचालित निर्माण व अभियंत्रिकी सलाहाकार के रुप में निजी संस्था के तहत सेवा में लगन हैंं । 

*कुरुक्षेत्र ये उदित युग का


ये काल, अपभ्रंश की धारा

परिवर्तन की है ये पृष्टभूमि 

कर्म -भुमि है  ये रण-भूमि 

कुरुक्षेत्र ये उदित युग का।


निःशस्त्र तुमको लड़ना है

महीधर बन कर अड़ना है

सुगम भाव से  करना तुझे

आगाज़ अविकल्प युद्ध का


अमन-क्रांति के अंकुर सींच 

शस्य शांति की उन्नत करना

प्रेम महुर देकर खरपात को 

रखना ध्यान आत्म शुद्ध का


अग्रज सहचर अनुज बहुतेरे

वर्य बनके अविज्ञ मन हरना

चक्रव्यूह के षड़यंत्र को भेद

'नादान आदमी का सच ’ हमारा तुम्हारा सच - सुजाता

अम्बिका दत्त जी का काव्य –संग्रह ’नादान आदमी का सच ’ पढ़ते ही ताज़ी हवा के झोंके की छुअन सी महसूस होती है। हिंदी और राजस्थानी में उनके नौ पु...