Wednesday, October 6, 2021

शोषिआत गुस्तामोव की कुछ कवियाएँ

शोषिआत गुस्तामोव उज्बेकिस्तान की  चर्चित कवित्री है जिसका जन्म 1971 में हुआ और उसने 'यूनिवर्सिटी ऑफ हाईअर लिटरेचर' से जर्नलिज्म की डिग्री प्राप्त की। इस समय वह उज्बेकिस्तान के एक समाचार पत्र में मुख्य संपादक के तौर पर काम कर रही हैं।
द हाउस इन द स्काई, रेस्कयू, द मैन्टल, और सम्पादना की अनेक चर्चित पुस्तकें उसके द्वारा रचित हैं। उसने कई देशों में हुए साहित्य सम्मेलनों में न सिर्फ भाग लिया है बल्कि अअन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक इनाम-सम्मान भी प्राप्त किए हैं।


छोड़ रही हुँ ये रास्ते
यह रोज़-रोज़ की भागदौड़
जैसे किसी चित्रकार की कलाकृत से
झलक रही हो थकान

यह मेरी सोच का पक्षी है
य शायद
मेरी माँ का दूध है
जो मुझे लौट आने को 
कह रहा हो।

किसे दोष दूँ, शिकायत करूं
उन पलों की,

'नादान आदमी का सच ’ हमारा तुम्हारा सच - सुजाता

अम्बिका दत्त जी का काव्य –संग्रह ’नादान आदमी का सच ’ पढ़ते ही ताज़ी हवा के झोंके की छुअन सी महसूस होती है। हिंदी और राजस्थानी में उनके नौ पु...