Monday, January 1, 2024

शशि पाठक की कुछ नई कविताएं


1----

फर्क होता है

खुश होने और सुखी होने में ।

ज़रुरी नहीं कि

हर सुखी व्यक्ति खुश भी हो  ।

खुशी मन की एक स्थिति है ,

जबकि सुख

सुविधाओं पर आश्रित है ।

सुविधाएं खुशी नहीं

सुख देती हैं ।

अभावग्रस्त व्यक्ति भी 

खुश हो सकता है

और

सुखी व्यक्ति भी नाखुश रह सकता है ।

2-----

ज़िन्दा है इंसान

सपनोँ के सहारे

देखता है नित नये सपने

और जुट जाता है

उन्हें पूरा करने में ।

कभी अपने सपने

कभी आपनों के सपने

रुकने नहीं देते उसे

एक जगह ।

आगे, और आगे बढ़ना है

रुकना नहीं, थमना नहीं

उर्जा देते हैं सपने उसे

तभी तो वह कर जाता है

असंभव लगते काम भी ।

3----

हर रात बुनती है वह

सपने

सोई-जागी आंखों में तैरते

रंगीन सपने ।

बुहार देती है सुबह होने पर

झाड़ू से।

बच्चों की कापियों के फटे पन्ने

पति की जेब से निकले पुराने बिलों के कचरे के साथ

समेट कर फेंक देती है

डस्टबिन में

और बैठ जाती है

मैले कपड़े धोने और

साथ साथ धो देती है अपने

रंगीन सपने ।

लेकिन फिर बुनती है रातभर

जागी सोई आंखो में सपने

जो बनेंगे कभी हकीकत ।

क्योंकि 

उम्मीद ज़िन्दा रहती है ।

4-----

हाथों से फिसलती जा रही है

उम्र की रेत

कसके मुट्ठी बांध लो दोस्त

शायद कुछ उम्र बच जाये

पूरी करने को तम्मनाऐं

देखने को नये सपने

और

भरने को उड़ान खुले आसमां में

नाप लो सारी अजनबी दूरियां

ताकि

गिला न रहे कोई

जब रीत जाये पूरी तरह

मुट्ठी की रेत ।


5----तुम आना प्रिय

जीवन की ढलती बेला में

जब सफेद हो जायें

मेरी लहराती ज़ुल्फें ।

खो जायेगी जब चमक

मोती से दांतों की, 

कांपती उंगलियां जब

ढ़ूढ़े सहारा किसी हाथ का  ।

तब आना तुम प्रिय

और थाम लेना मेरा हाथ

अपने कांपते हाथों में

सारे गिले शिकवे भूल कर ।

तब जानूंगी मैं

तुम्हें प्रेम था मुझसे 

मेरी आत्मा से ।

6------

नाज़ुक होता है दिल

कांच सरीखा ।

दरक जाता है

ज़रा सी ठोकर लगने पर ।

चूर-चूर हो जाता है ।

लेकिन

जान नहीं पाता कोई

क्योंकि

दिल टूटने की कोई 

आवाज़ नहीं होती ।

7-----

मेरे मन ने लिखी

एक कविता अधूरी सी

और उसे पढ़ लिया

तेरे मन ने

काश पूरा कर दें इसे

तेरा और मेरा मन

मिल कर 

बिना बोले ।

Mob. 8875593881

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