Sunday, July 28, 2024

चेन सु चिन की कुछ कविताएं

 सेंटियागो में आंखे

( ला चेस्कोना में)


यहां हर तरफ आखें हैं

चुफेरे हैं आखों के बने चिन्ह

किसी सख्त प्रेमी की दबंग आखें

अंदर कमरे से घूर रही हैं

बगीचे की तरफ

यह जानने के लिए की

प्यार अभी तक कायम है की नही


आखें तो प्यार की तलाश में

स्थिर हो गई लगती हैं

अंधे प्यार की चाह


ओ! मेरे नेरुदा

यहां पर बहुत सारी आखें हैं


आखें , आखें और आखें

कौन सी हैं मेरी

और कौन सी हैं

तुम्हारी आंखे


क्या हम एक जोड़ी 

आखों में नही बदल सकते

जो एक ही तारे को घूर रही हों

एकरूप हो जाएं।

मैं तुम्हे पाने की सोच कर भी

तुम्हारी हो जाने से डरती हूं।


( ला चासकोना में हर तरफ आखों की आकृतियां दीवारों पर बनी हुई हैं)




बालियां


जब खो जाती हैं बालियां

तो आज़ाद हो जाते  हैं कान 

तुम्हे आज भी क्यों

सुनाई देती हैं

कान में खनकती बालियों की आवाज़ें


बालियां जब कानों को

अपनी ग्रिफत में ले लेती हैं

तो हो जाती है इस बात की गवाह की

प्रेमी के अंतरीव मन को परखने की

तुम्हारी समझ अब खत्म हो चुकी है


समंदर के सूख जाने

और पत्थर के जल कर राख हो जाने तक 

वादे किए जाते हैं


जब कोई तुम्हे याद करे तो

जलन होने लगे कान में

जैसे सूजन हो


क्या बालियां 

आज़ादी के लिए की जाएंगी

इस्तेमाल

या रह जाएंगी गुलामी का चिन्ह बन


पक्की कसम एक

वसंत की हवा है

जिसमें बालियां कंपन करती हैं


मुझे भूल मत जाना


बस सफेद फूल ही नहीं 

लाल, पीले और बैंगनी जंगली फूल

बसंत की मध्यम हवाओं से

तुलना बेशक करना

पर मुझे भूल मत जाना


सिर्फ लहरों और समुद्री पक्षी ही नहीं 

चांद की रोशनी में चमक

चांदी रंग की पतियों तले 

धीरे धीरे कुछ कहना 

पर मुझे भूल नहीं जाना


वादियों- पहाड़ों को और 

सूरज , चांद सितारों को ही नहीं 

मुझे भी बिना रुके कुछ

कहते रहना

मुझे भूल मत जाना


ओ! मेरे नेरुदा

दुनिया में बस तुम ही हो

जिसने मुझे कबूल नहीं किया

मुझे भूल मत जाना।


अनुवाद: जतिंद्र औलख



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