(आज मेरी सेवानिवृत्ति का एक वर्ष पूरा हो गया है)
शिखर
परिवर्तन क्या है, बेहतरीन एहसास हो रहा है
ज़िन्दगी का हर पड़ाव प्रभावशाली रहा है,
अनुभवों को मैंने हर स्तर पर सांझा किया है
उम्मीद, उल्लास और उमंग से
जीने की मन में आज भी ललक जिंदा है।
जिंदगी को एक बात और कहनी है,
उम्मीद रखकर जीनी आगे बढ़ रही जिंदगानी है,
अपराध बोध से उठकर के हमें जीना है
कभी होंठों से गमों को पीना है तो
कभी होंठों को सोच समझकर सीना है।
आज भी हम परिस्थितियों में बेचैन से लगते हैं,
राहतें बांटते फिरते मुस्कुराते से लगते हैं,
यारों के यार, आदतों में यारी शुमार किए चलते हैं
शिक्षा प्रसार है जरूरी, कर समाधान किए चलते हैं।
हम सब कुछ समझना क्यों, चाहते हैं,
हम जिंदगी में परीक्षाओं से
बचना क्यों चाहते हैं।
शिखर गिना नहीं करते हैं,शिखर चढ़ा करते हैं
अगर कोई सीखना चाहे,
हाथ पकड़ कर पीठ थपथपा
दिया करते हैं।
(सेवानिवृत्त प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज।)
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