डॉ० आरती कुमारी हिंदी, उर्दू व अंग्रेज़ी में समान अधिकार रखती हैं। वह एक कवि, ग़ज़लगो के साथ शिक्षाविद भी हैं। उनकी कई रचनाएँ व आलेख राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उनका काव्य संग्रह ' धड़कनों का संगीत' राजभाषा विभाग द्वारा सम्मानित एवं अभिधा प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। उनके संपादन में ये नए मिज़ाज का शहर है और बिहार की महिला ग़ज़लकार ग़ज़ल संग्रह आया है। उनकी रचनाएँ आकाशवाणी और दूरदर्शन से नियमित प्रसारित होती रहती हैं।
स्मृति
आज
कई दिनों बाद
स्मृति के जादूगर ने
पलट डाले
जिंदगी की किताब के
कई पृष्ठ ..
वक्त की स्याही से लिखे
उन पन्नों पर दिखे
अठखेलियाँ करते शब्द
अनुशासित भाव
कुछ स्पंदित क्षण
सूखे गुलाब के निशान
और
आँखों की नमी से धुले
तुम्हारे ख़त...
पुल
विश्वास की ईंटों को जोड़कर
प्यार के गारे से सना
चलो बनाएँ
संवाद का एक पुल
जो सीधे तुम्हारे दिल से
मेरे दिल तक पहुँच सके
इससे पहले कि आ जाएं हमारे रिश्तों में
झूठ और धोखे की
दरारें
और आ जाएं
कभी न तय होने वाली दूरियाँ।
मन्नत का धागा
मन्नत के धागों में
बांध दिया है तुम्हे
और हर फेरे के साथ
बांध रही हूँ एक गांठ
हमारे प्यार की लंबी उम्र के लिए
हमारे अटूट विश्वास के लिए
हमारी दीवानगी के लिए
हमारे एक दूजे के प्रति
समर्पण के लिए
हमारी मुस्कुराहटों के लिए
बदनज़र से हमारे प्यार की रक्षा के लिये
और अंतिम फेरे में चाहती हूँ लपेट लेना
खुद को ही तुम्हारे संग
ताकि जी सकूं हर सांस
रहकर तुम्हारे क़रीब
और
मन्नत पूरी होने में रह न सके...
कोई भी दूरी..
प्रार्थनाएं
पड़ सकते हैं शब्द कम
हो सकते है एहसास अव्यक्त
मर सकते हैं सपने
पर नही मरती हैं प्रार्थनाएं
वे अक्सर देर से सुनी जाती हैं
ईश्वर के मौन में...
नमक
स्त्री
घुली होती है
घर के वातावरण में
नमक की तरह
कि जिसके न रहने से
बिगड़ जाता है
'घर का स्वाद'
मुस्कान
चकले पर रोटी बेलती
स्त्री की चूड़ियों की खनक
होती है सारे वाद्ययंत्रों से मधुर
तवे पर फूलती रोटियाँ
लाती हैं मुस्कान
बच्चों के चेहरे पर
जो दुनिया भर के खिलौने भी
नहीं ला पाते
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