Saturday, April 23, 2022

अपनी चाय की चुस्की भरो धीरे_धीरे/ मज़े से : प्रोफ: ली तसु पेंग

अनुवाद: सुजाता

कोई नहीं जानता
कब रुखसत का समय आ जाए और उस मौज को जीने का समय ही न मिले
तो बसअपनी चाय की चुस्की भरो
सुकून से/ धीरे _धीरे
_
जीवन बहुत छोटा है
मगर लगता बेहद लंबा
बहुत कुछ है करने को
क्या सही क्या गलत
उलझे रहते तुम इसी में
इससे पहले कि देर हो जाए और  
अंत समय आ जाए
अपनी चाय का मज़ा लो
घूंट_घूंट
_
चंद दोस्त शेष रहते
दूसरे छोड़ देते साथ
जाने वाले अपनी यादें छोड़ जाते
पर कौन रहता सदा
बच्चे बड़े हो कर उड़ जाएंगे 
उड़ानें भरते
कौन जाने
समय किस कदर करवट लेगा
अभी तो बस_ _
अपनी चाय के घूंट भरो
धीरे _धीरे मज़े से
_
अंततः प्रेम ही सत्य है
धरती और आकाश का अंतिम सत्य!
सराहो उन्हें
सम्मान दो 
जो सच में 
तुम्हारी परवाह करते हैं 
मुस्कुराओ!
गहरी सांस छोड़ते
अपनी चिंताओं को विदा कहो
फिलहाल  चाय की चुस्की भरो
सुकून से/ घूंट_ घूंट
_
मेरे न रहने पर
बहेंगे तुम्हारे आंसू
जबकि मैं तो अनजान रहूंगी
क्यों न अभी आपस में दुःख सांझा करें
_
तुम फूल भेजोगे
मैं न देख पाऊंगी
क्यों न अभी वो उपहार दो
_
मेरी प्रशंसा में चंद शब्द कहोगे
मैं न सुन पाऊंगी
क्यों न अभी मेरी तारीफ़ करो

_तब
मेरे दोषों को भुला दोगे
कहां जान पाऊंगी
क्यों न  मेरी गलतियों को बिसार दो अभी
_
मेरे जाने के बाद 
मुझे याद करोगे
उस एहसास को महसूस न कर पाऊंगी
क्यों न उस शिद्दत से अभी याद करो
_
शायद तुम सोचोगे
काश मेरे साथ कुछ अच्छा वक्त बीता पाते!
क्यों न
 इसी क्षण इसकी शुरुआत करो

_ मेरे चले जाने की खबर मिलते शोक प्रकट करने
तुम मेरे घर की ओर रुख करोगे
जबकि बहुत देर हो चुकी होगी
हमारे बीच की  निःशबद्ता और चुप्पी  के पसार को 
क्यों न इस दूरी को अभी मिटा डालें
तुरंत!

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