Saturday, November 11, 2023

छोटा भी सुन्दर : रंजीत कुमार साहू

 

छोटे और दुर्बल का 
कभी न करो 
जाने अनजाने में 
उपहास  
छोटा सा दिया 
घनघोर अँधेरे में  
जगा जाता  है  
जीवन की   आस 

धीमा होता है पर 
बदल देता है  
रुख  मौसम का झोंका  
हवा का 
कौन कहता है  वो निर्बल होता है  
घूप में काम देता है दवा का 

छोटा सा ही होता है  सीपी सागर में, 
मोती  उस से भी है छोटा होता 
पर उसके जड़ने से आभूषण   
सोने का इतना  सुन्दर होता  ! 

एक बूँद ओस की  गिरती  है जब, 
अधखुली फूल की पंखुड़ी पर, 1
किरणों की सौगात साथ लाती  है  
भरती  है  हँसी उसके   होठों पर  

छोटी छोटी चीजों से सजी है धरती, 
कण कण  में छुपे  भगवान 
जिसने समझ ली महिमा छोटे की 
विशाल का मिल गया उसे ज्ञान।



 

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