Wednesday, March 2, 2022

डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर' की कविताएँ

प्रकाशन/संपादन- 

बिन्दु में सिन्धु, उन पलों में, शब्द-शब्द क्षणबोध, आर-पार, कई फूल - कई रंग, डॉ. मिथिलेश दीक्षित का क्षणिका-साहित्य, फतेहपुर जनपद के हाइकुकार, डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर' के सौ शेर, नयी सदी के दोहे, क्षणिका काव्य के हस्ताक्षर, दि अण्डरलाइन क्षणिका विशेषांक, अचिन्त साहित्य दीपावली क्षणिका विशेषांक तथा अन्वेषी के कई वार्षिकांक।

विशेष- 

* अनेक यूरोपीय एवं एशियाई भाषाओं यथा ग्रीक, फ्रेंच, जर्मन, चाइनीज, अज़रबैजानी, पुर्तगीज, सर्बियन, क्रोशियन, अरेबिक आदि भाषाओं में कविताओं का अनुवाद। 

* टीवी प्रोग्राम यू एण्ड लिटरेचर टूडे, नाइजीरिया द्वारा लिटरेरी आइकॉन घोषित (दिसम्बर 2018)। 

* विभिन्न पत्रिकाओं यथा अन्वेषी, गुफ़्तगू, अनुनाद, तख़्तोताज, मौसम, पुरवाई, शब्द गंगा, अरण्य वाणी आदि के लिए पूर्व/वर्तमान में संपादन, सहसंपादन व कार्यकारी संपादन।* हिन्दी और अंग्रेज़ी की देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं-वेबपत्रिकाओं और विविध संकलनों में विभिन्न विधाओं में रचनाएँ प्रकाशित। 

* हिन्दी और अंग्रेज़ी की शताधिक पुस्तकों के लिये भूमिका/विमर्श/समीक्षा/आलोचना आदि प्रकाशित। 

* द डियर जाॅन शो, वारिंगटन, इंग्लैंड में कविता प्रसारण। 

* अनेक साहित्यिक/सांस्कृतिक संस्थाओं में उत्तरदायी पदों पर आसीन। 

* एसोसियेट एडिटर- "द वायस ऑफ क्रियेटिव रिसर्च", ई-जर्नल।

* क्षणिकाकार एवं माइक्रोपोएट्री कॉस्मॉस का संपादन।

* गुफ़्तगू तथा अमृतांजलि आदि पत्रिकाओं में वर्तमान में परामर्शदाता की भूमिका में।

* लघुकथा 'छंगू भाई' पर इसी नाम से लघु फ़िल्म का निर्माण।

* बेकल उत्साही सम्मान 2017, साहिर लुधियानवी सम्मान 2021, डॉ. गणेश दत्त सारस्वत सम्मान 2019, काव्यांजलि एवार्ड 2012 तथा सृजनशीलता सम्मान 2017 सहित कुछ अन्य सम्मान।

* विभिन्न सामयिक साहित्यिक मुद्दों पर देश के अनेक शीर्ष साहित्यकारों/विद्वानों के साथ परिचर्चाएँ/चौपालों का संयोजन/प्रकाशन। 

* साहित्य एवं संस्कृति से सम्बन्धित विभिन्न नामचीन हस्तियों के साक्षात्कार। 

* विभिन्न प्लेटफॉर्मों के माध्यम से हिन्दी एवं अंग्रेज़ी माइक्रोपोयट्री पर विशेष कार्य।

(अध्यक्ष-अन्वेषी संस्था)


विश्वास करो

मैं 

असहज हो गया था 

उस दिन 

तुम्हारी आँखों में आँसू देख कर 

सम्भवतः 

पहली बार मुझे 

लगा था ऐसा 

कि तुम्हारे हृदय में 

मेरे लिए भी 

छिपा है ढेर सारा प्यार 

और मैं नहीं समझ सका कभी। 


उस दिन मेरी आँखें भी

हो गयी थीं- नम 

मैं कहना चाह रहा था 

बहुत कुछ 

तुम्हारे रुआँसे स्वर 

"जा रहे हो...कब आओगे" 

के प्रत्युत्तर में, किन्तु 

साथ नहीं दे पा रहा था 

मेरा रुँधा गला 

उस वक़्त..., 

और अनवरत् आँसुओं में भीगे 

मेरे शब्द - मेरे स्वर 

अटके जा रहे थे 

चेतना/निःशब्द-सी हो गयी थी 

बहुत साहस बटोर कर 

नज़रें घुमा कर 

बस इतना ही 

कह सका था- 

"हाँ...पता नहीं" 

और चरण स्पर्श कर 

चल दिया था 

विश्वास करो दादा जी 

मैं रोना चाह रहा था 

लिपट कर 

जी भर 

ज़ोर-ज़ोर से, 

पर मेरा साहस 

शायद लुप्तप्राय था।


कविता दस्तावेज़ है


उसने भेजी

एक प्यारी-सी तस्वीर 

ताकि 

भागदौड़ के बीच 

चलती रहे कविता।


वह जानती है कि 

तस्वीर देखकर 

मैं लिखूँगा 

ज़रूर कोई कविता।


वह जानती है कि 

कविता देगी ऊर्जा 

मुझे और उसे

हम दोनों को।


वह जानती है कि 

ज़रूरी है कविता 

आपाधापी के बीच 

मन को तरोताज़ा

रखने के लिए।


वह जानती है कि 

कविता ज़रूरी है

वर्तमान और भविष्य के लिए।


वह जानती है कि 

कविता दस्तावेज़ है

मेरे और उसके होने का,

समय और गाढ़ी अनुभूति को

रेखांकित करती ये कविताएँ

युगों तक नेह और संवेदनाओं का

प्रतिमान बनी रहेंगी

वह जानती है यह बात बख़ूबी!


मैं जानता हूँ उसके मन की ये बातें 

तभी तो उसकी हर एक तस्वीर 

प्रेरणा है मेरे लिए!!!





1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आदरणीय💐💐🙏

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