Monday, May 14, 2018

पाँचवा मौसम -- कुंंती

जीवन में न जाने कैसी है कमी
जो अब तक न पूरी हो सकी
जाने कैसी है तलाश
जो आज तक अधूरी ही रही
आखां में सजे सपने नए
जीवन में नए रंग घुले
मगर उन खुशियों के रंग
इन्द्रधनुषी रंगो से न ढले
नयनां की कमान से
बाण तो अनेक चले
मगर कोई चितवन
हदय न बींध सकी

इंतजार है जारी
मुंतजिर भी है रब
आए तो जिंदगी में
पाँचवा मौसम

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