गुमसुम हुई शाम सुहानी
फिर बहकने लगा फागुन देखो,
टेसू के पेड़ों से गुजर गया I
ढलती शाम की जलती किरणों में,
इश्क़ का हुनर बिखर गया !
एक कश्मकश शुरू हुई दिल में,
भूलने और याद करने में I
फर्क सब कुछ मिटने लगा है,
मिट जाने या ज़िन्दा रहने में I
गुमसुम हुई शाम सुहानी
फिर बहकने लगा फागुन देखो,
टेसू के पेड़ों से गुजर गया I
ढलती शाम की जलती किरणों में,
इश्क़ का हुनर बिखर गया !
एक कश्मकश शुरू हुई दिल में,
भूलने और याद करने में I
फर्क सब कुछ मिटने लगा है,
मिट जाने या ज़िन्दा रहने में I
हम और तुम भले चाहें युद्ध न हों पर युद्ध होंगे और मरना किसे इस युद्ध में यकीनन हमको तुमको नेता आए,नेता गए दर्ज हुआ युद्ध इतिहास मे तो ...