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डॉ संगीता सिंह का जन्म 26 फरवरी को हुआ था। ये स्वर्गीय श्री नरेंद्र बहादुर सिंह एवं श्रीमती आशालता सिंह की संतान हैं माता पिता राजकीय सेवा में क्रमशः अंग्रेजी एवं हिंदी के व्याख्याता रहे। घर का वातावरण पूर्णतया साहित्यिक रहा।ये कोटा राजस्थान की निवासी हैं। इन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई तथा पी एच डी की है। इसके अतिरिक्त इन्होंने विद्यालय में हिंदी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य तथा महाविद्यालय मेंदर्शन शास्त्र, धर्मशास्त्र एवं संस्कृत का भी अध्ययन किया है।ये पैंतीस वर्षों से लिख रही हैं। इन्होंने अपनी पहली रचना का सृजन 1989 में किया था। ये अब तक लगभग 50 रचनाओं का सृजन तथा लगभग 100 रचनाओं का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कर चुकी हैं। यह पुस्तक समीक्षा भी लिखती हैं। इनके अनुसार लेखन एक ऐसा माध्यम है जिससे आप अपने मन के भावों और विचारों को व्यक्त कर सकने के साथ साथ समाज में जागरूकता ला सकते हैं। ये उच्च शिक्षा विभाग (सरकारी) की सेवानिवृत्त प्रोफेसर (अंग्रेजी विभाग)हैं । इनके मनपसंद रचनाकार/ लेखक/लेखिका /कवि/कवयित्री /उपन्यासकार/कथाकार रामधारी सिंह " दिनकर", हरिवंश राय बच्चन, शिवानी हैं। इनका मनपसंद उपन्यास शिवानी का ' कैंजा' और अंग्रेजी में जार्ज ऑरवेल का ' नाइनटीन ऐटी फोर 'हैं । इन्हें रामधारी सिंह दिनकर की ' समर शेष है' कविता, हरिवंश राय बच्चन की कविता ' पथ की पहचान', भगवद्गीता एवं रामचरित मानस पढ़ना पसंद हैं। ये हिंदी, अंग्रेजी के साथ राजस्थानी में भी कविताएं लिखती हैं। इन्हे पद्य विधा में लिखना पसंद हैं। ये अंग्रेजी, हिंदी एवं राजस्थानी भाषाओं में रचनाओं का सृजन करती हैं। इनके द्वारा सृजन की हुई इनकी मनपसंद रचना 'अमन का पैगाम', अंग्रेजी में Walk on the Tight Rope' राजस्थानी भाषा की कविता 'अब तो मिटा लै कालो टीको' हैं। ये अब तक 'आर्यन लेखिका मंच ' के कवि सम्मेलन में जुड़कर उसकी शोभा व गरिमा बढ़ा चुकी हैं। ये 'अंतर्राष्ट्रीय काव्य साधिका मंच' तथा 'राजस्थानी लेखिका संस्थान', 'मां के नवरात्रे कविता संकलन आदि से जुड़ी हुई/ हैं। इनकी रचनाएं डॉ प्रभात कुमार सिंघल के संकलन 'नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान' में प्रकाशित हो चुके हैं। इन्हें अब तक कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। अब तक इनके तीन अंतरराष्ट्रीय कविता संग्रहों के अनुवाद संकलन -' मेरी आत्मा का रत्न ', 'विरह की वेदना' एवं ' सरगोशियां' प्रकाशित हो चुके हैं जिनका इन्होंने अंग्रेजी से हिंदी भाषा में अनुवाद किया है।सच्चा सुख
क्या तुमने चखा है कभी सुंदर अनोखा स्वाद
छप्पन भोग, षड-रस भोजन
सोने के थाल से भी बढ़ कर