Monday, April 10, 2023

रंजीत साहू की दो कवियाएँ


गुमसुम हुई शाम सुहानी 


फिर बहकने लगा  फागुन देखो,


टेसू के पेड़ों  से गुजर गया I


ढलती शाम की जलती किरणों में,


इश्क़ का हुनर  बिखर गया !



एक कश्मकश शुरू हुई  दिल में, 


भूलने और याद करने  में I


 फर्क सब कुछ मिटने  लगा है, 


मिट जाने  या ज़िन्दा रहने में  I

डॉ संगीता सिंह की कुछ कविताएं , राजस्थान

डॉ संगीता सिंह का जन्म 26 फरवरी को हुआ था। ये स्वर्गीय श्री नरेंद्र  बहादुर सिंह एवं  श्रीमती आशालता सिंह की संतान हैं माता पिता राजकीय सेवा...