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Saturday, August 21, 2021

ईवा लिनोय की तीन अनुवादित कवियाएँ

 

ईवा लीनोय का जन्म ग्रीस के शहर जिलोकास्त्रो में 1973 को हुआ। 2002 में उसने एक फ्रेंच अख़बार 'ला लिब्रे जर्नल' में पत्तरकार के तौर पर काम शुरू किया। उसके बाद उसने ऐथनज़ में एक रेडियो प्रोड्यूसर की नौकरी शुरू की। आजकल वह सायप्रस में एक पत्रिका की बाल पन्नो का संपादन कर रही हैं। 

ईवा लिनोय यूनेस्को लोगोस और 'पेनहेलनिक राइटर असोसिएशन' की मेम्बर  भी हैं। उसकी किताबें सायप्रस सरकार द्वारा स्कूल सिलेबस में शामिल की गई हैं। यूरोप की कथाओं पर उसका काम महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध है।


तुम्हारे आतित्व से पहले


तुम मेरी आत्मा में रहते हो

इससे पहले की तुम कुछ कहो

समझ लेती हूँ तुम्हारे शब्द


बहुत वर्ष जिया है सूनापन


सितारों को देख कामना करना

और आशाएँ बनाई रखना


तुम्हारे आने से पहले 

जान लेती हूँ तुम्हारी सुगन्ध

और इससे पहले की तुम कुछ कहो

सुन लेती हूँ तुम्हारी आत्मा की आवाज़


उड़ते पक्षियों को देखो

और चाहना करो


मैं एक घेरा बनाती हूँ

और उसमें देखती हूँ 

तुमको और अपनेआप को

सुरक्षित और आनन्द में 


इससे पहले की तुम मुझे छूहो

महसूस कर लेती हूँ 

तुम्हारा जिस्म


यह आग का गोला मुझे

निगले जा रहा है


पर जाने से पहले

मैं कभी अलविदा नहीं कहूँगी



प्यार के बारे में


चाँद नहीं जानता प्यार की परिभाषा

आदमी ने भी कहीं से नही सीखा-पढ़ा

प्यार का सलीका


इंसान एक-दूसरे से करते हैं प्रेम

क्योंकि प्यार उनके स्वभाव  में है

जो उन्हें मिलता है और वह बांटते हैं।


जैसे सूर्य प्यार के बारे कुछ नही जानता

अपने आदि से वह

देता है सोने सी धूप

और उजियारा


इंसान कुछ नही जानते

प्यार के बारे में

यह स्वार्थ के बिना होता है

नफ़े-नुकसान के बगैर।


यह छोटा सा संकेत है

जैसे आंगन में चिड़िया का आ बैठना

यह सूक्ष्म है

पर जीने को देता है बहुत बड़े पल


इंसान प्यार को समझ नही सकते

जैसे नए जन्मे बच्चे की चीख

कोई नही समझ सकता


प्यार तो त्याग है

दूसरों के प्रति आदरभाव

यह तो भक्ति है।


महिला

सोचती हूँ क्या मैं आजाद हूँ

और क्या आप सब आजाद हैं

नहीं! बिल्कुल नही!


प्रतिदिन एक आशा लिए

सोचती हूँ बहुत संभावनाओं के बारे

गली में निकलती  हूँ

लेकिन हर कोई करता है उपेक्षा

क्योंकि मैं एक महिला हूँ।


न जाने कितनी बार 

सुनाया जाता है व्यख्यान

बच्चों की पढ़ाई- लिखाई 

औरत की जिम्मेदारी है

महलाओं को अच्छी तरह आना चाहिए

खाना-पकाना और 

घर गरिस्ती को सम्भालना

और बहुत न खत्म होने वाले काम


पर क्या है अंजाम

वह जरूरत और इच्छाओं को 

व्यक्त करने वाला

एक शब्द बन के रह जाती है।


एक अनहोना सा व्यकितत्व

और जब एक दिन आप 

आईना देखते हो

अपना चेहरा, काया और यहाँ तक

आपने ह्रदय को भी नही पहचान पाते


क्योंकि तुम्हारा

हद से ज्यादा उपयोग हो चुका होता है

तुम अनेक बार नकारे जो गए

एकाकीपन के शिकार हुए।

झूठे मित्रों के बहकावे में फंसे


बस भोगते रहे थोपे गए

फैसलो का दुर्भाग्य।


अनुवाद:- जतिन्द्र औलख

Email:- poetaulakh@gmail.com




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