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Wednesday, June 21, 2023

डाँ. अंजना अनिल की कुछ कविताएं

  


आनंद

अजब अनूठी... मीठी

सिहरन सा... वो दिन

निराला होता है

जब पंछी के कलरव सी

विरल अभिव्यक्ति

कलम की नोक पर

आ बैठती है...

सूरज के उगते प्रकाश संग

रंग-बिरंगी आस्थाओं की अल्पना

घर द्वार

सजा देती है!

लगता है... ग्राम परिवेश

मानस के आकाश को

अपनी सुरम्यता से

आच्छादित कर देता है...